Jyoti yadav 15 May 2023 कविताएँ बाल-साहित्य #निकला था चांद आसमान में# 10604 0 Hindi :: हिंदी
निकला था चांद आसमां में लिए संग असंख्य सितारे प्रफुल्लित हुआ एक शिशु देखकर ऐसे नजारे मानो दूध की भरी कटोरी उसी नजर आने लगी पानी के लिए मन ही मन खुश आने लगी देख दशा ऐसी उसकी ईश्वर भी हरसाणी लगा नभ से सुमन बरसाने लगा शिशु का जी ललचाता पानी को हाथ बढ़ाता पैर कहलाता करती हुई या कार्य बीत गई रात हो गई सुप्रभात गए चंदा मामा आ गए सूरज मन में उठी नई उमंग फड़कने लगा सब अंग देख कर रंग लाल उसका समझ गया शिशु सेब जैसी खिली हुई धूप में खिलखिलाता है खाने को मुंह फेलता है यह क्रिया कर्ता शिशु हर रोज आखिरी ए गया यूज होश आएंगे नहीं सूरज चंद हाथ हमारी प्रफुल्लित हुआ एक शिशु देख कर ऐसे नजरे