Jeevan kumar 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम जीवन एक साहित्य 78410 0 Hindi :: हिंदी
प्रकृति एक रंग अनेक प्रकृति तेरे रंग अनेक, कहीं मग्न जल,कहीं धूप रंग, कभी तू अपने रंग निखारे, टप - टप कर तू जल बरसाए, तेरी धरा में हम है बैठे, रंग तुझसे,हम है समेठे। बूंद - बूंद तेरी, लहराए गाना, तुझसे सीखे नियम बनाना, उज्ज्वल उपवन हवा है बहती, सुंदरता का रंग संजोती । नदिया नाले उफान पर आते, आमजन अभी कुछ न कर पाते, उधर गया वो, इधर न आया, इधर - उधर वो न कर पाया । कहीं किसी को धूप है चुभती, कहीं किसी को पानी न सहाय, जल - जीवन सौंदर्य यही नियम तेरे है, है मातृभूमि रंग तेरे सुनहरे है । (जीवन)