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प्रेम का बीज जैसे दबाया उधर-दुख का समीकरण समझ आ गया

Sudha Chaudhary 29 Jun 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत 7916 0 Hindi :: हिंदी

प्रेम का बीज जैसे दबाया उधर
उनको दुख का समीकरण समझ आ गया।
नेह बन्धन बने, साथ चन्दन बने
मेरे सपने पर दुनिया का मन आ गया।
बात हम भी किये, बात तुम भी किये,
तुम को अपनी गणित का हल आ गया।
देखने  में सावन फुहारों भरा
बूंदें तन पे गिरी तो मजा आ गया।
विरह के गीत मैंने बहुत ही लिखे मगर
प्रेम में सफलता सहज भा गया।


सुधा चौधरी
बस्ती

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