Pankaj Kumar Boorakoti 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक # परिंदा 14298 0 Hindi :: हिंदी
काश मैं होता एक परिंदा उड़ता रहता, आसमान में बिना किसी रूकावट के दूर रहता दुनिया के झंझालो से, रखता नहीं कोई गलत विचार, ना करता दो रंग की बातें, हवा में उड़ता बिना किसी गुलामी के काश में होता एक परिंदा उड़ता रहता आसमान में बिना किसी रूकावट के। लेखक पंकज कुमार बुड़ाकोटी