संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता काफी रोमांचक है पाठक गण अवश्य ही लाभान्वित होंगें। 87230 0 Hindi :: हिंदी
मैं चाहता हूं, मेरा धरा पर आना_जाना लगा रहे, अधूरे ख्वाबों को पूर्ण करने का प्रयास चलता रहे। वसुन्धरा माता बड़ी प्यारी हैं, तीनों लोक में न्यारी हैं। यहां धरती पर जन्म _मरण, जीवन जीना संघर्ष सब बेमिसाल है। नाना प्रकार के सजीव_निर्जीव का दृष्टिगोचर, एक आनंद मई अनुभूति देती है। यहां रिश्ते _नाते निभाने का मज़ा, दोस्ती _दुश्मनी का मज़ा सब लाजवाब है। हर हाल में खुश रहने की कला, मुस्कानों के बीच में ही जीना। कुल मिलाकर सब में ही यहां मज़ा है, पुनर्जन्म की लालसा में दिल मेरा सजा है। मुझे इश्क की एक नव इमारत बनाना था, परन्तु कल_कल से काल आ गया। पल _पल यही विचार मन में चलते हैं, इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में पूर्ण हों। दोस्ती की एक मिशाल कायम करना था, लोगों में यह स्वच्छ भावना भरना था। पुनर्जन्म की अभिलाषा लिए मरूंगा, सारे अधूरे कार्य को तब अवश्य पूर्ण करूंगा। संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....