Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #पुराने नीम की छांव में कविता#AmbedkarnagarPoetry#rbpoetry#छोटी सी कविता हिंदी में#कविता हिंदी में लिखी हुई#सबसे अच्छी कविता#कविता हिंदी में#सुंदर कविता हिंदी में#सरल कविताएँ 50232 0 Hindi :: हिंदी
गिल्ली डंडा बाघा बीता छुक छुक इंजन वाला खेल, दिन भर आना जाना रहता सबसे होता रहता मेल, सुख-दु:ख की सब बात समझते, अपनापन के फूल थे झड़ते , तैरते प्यार की नाव में पुराने नीम की छांव में | बिखर गये सम्बन्ध सब पतझड़ सा बहार में, ऐसा छाया काला जादू जहर घुल गया प्यार में, दिया दिवाली रंग रंगोली, भूल गये रंगों की होली, मिलता कोई न राह में पुराने नीम की छांव में || दादा,दादी के किस्से व डांटा -डांटी,प्यार दुलार, कौन पूछता अब दादी को दादा गये संसार सिधार, आल्हा कजरी सोहर गीत, न ढोल तमाशा का संगीत, सन्नाटा पसरा गॉव में पुराने नीम की छांव में | Rambriksh Ambedkar Nagar
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...