Manu Vishwakarma 18 Feb 2024 कविताएँ धार्मिक 2615 0 Hindi :: हिंदी
राम का धनुष हूं मैं , शिव का त्रिशूल भी, विष्णु का सुदर्शन मैं,काली का कृपाल भी सतयुग में हिरण्य को मारा, त्रेता में दशानन को भी द्वापर में कंस को,कलयुग मैं कलि को भी मैं ही अंत और आरंभ भी, तेरे ना होने का कारण भी