Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

रंग घोलेंगे हम भी अपनी इन फिजाओं में

Jyoti yadav 08 Jul 2023 कविताएँ समाजिक #रंग घोलेंगे अपनी इन फिजाओं में# 6233 0 Hindi :: हिंदी

रंग घोलेंगे हम भी
 अपनी इन फिजाओं में
थोड़ा ठहरो हम भी
 उड़ेंगे इन हवाओं में

मांगी है मां ने मेरी
 खुशनसीबी अपनी दुआओं में
रास्ते कठिन है पर फलक
 साफ साफ दिखती है मेरी निगाहों में

मेरी निगाहों को कैसे तुम
 मुझसे जुदा कर पाओगे
 मेरी ख्वाहिशों को
 कैसे तुम मना कर पाओगे

कुछ रोशनी बिखेर जाता है 
यह चांद भी मेरी वफाओं में
और सितारे भी बुलंदी मांगते हैं 
मेरे लिए अपनी कामनाओं में

क्या इन सब को
 तुम बहका पाओगे
फैले हुए  पंखों को मेरे
क्या तुम सिमटा पाओगे

क्यों फालतू कोशिशें करते हो
 तुम मुझे गिराने की
कैसे गिरा पाओगे
जब मेरे पापा की ख्वाहिशें मुझे उठाने मे

चेक रही है मेरी दुनिया
रोशनी है मेरे लिए
 चारों दिशाओं में
थोड़ा ठहरो हम भी 
उड़ेंगे इन हवाओं में
रंग घोलेंगे अपनी 
इन फिजाओं में

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: