कुमार किशन कीर्ति 03 Aug 2023 कविताएँ समाजिक उदास,मानव 36072 1 5 Hindi :: हिंदी
आज सब उदास हैं। ये वादियां,ये घटाएं और चहकते हुए पंछी। आज सब उदास हैं। गुनगुनाते हुए भौरें, उड़ती हुई तितलियां और,खिलती कलियां। आज सब उदास हैं। जानते हो क्यों? क्योंकि,आज का मानव सब कुछ भूल चुका है। प्रेम_एकता भूल गया हैं, भाईचारा _मानवता भूल चुका है। केवल,जिसे नहीं भूला, वह है युद्ध....। जिसे नहीं भूला, वह है युद्ध में जीतना। बस,भूल गया हैं। दूसरो के बहते हुए आसूं, और बिलखते हुए जन समूह। इसी वजह से, आज सब उदास हैं।
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