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समय-समय का कोई तोड़ नही

Ujjwal Kumar 12 Jun 2023 कविताएँ अन्य Time 8247 0 Hindi :: हिंदी

समय का क्या सहारा कब कहा किसका बदल जाए...
जो आज है यू बेघर कल कही महलों के राजा हो जाए...
जो मिले है आज आम मानस की तरह वो कल के देवता हो जाए...
समय तो था राजा हरिश्चंद्र का महलों में थी खुशहाली...
अंत समय जब आया उनका मागनी पड़ी थी हरियाली.....
समय का कोई तोड़ नही क्यो इसको किया बरबाद जाए....
क्या पता कल लौट कर ये समय ही न आए...
  ...

स्वरचित रचना
✍उज्जवल कुमार✍

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