Ruby Gangwar 10 Feb 2024 कविताएँ समाजिक संघर्ष, जीवन भर, त्याग, कठिन परिश्रम 27082 0 Hindi :: हिंदी
क्या कहूं मैं संघर्ष पिता के हमारे लिए मां से जीवन भर अलग रहे उनके इस त्याग को बहुत करीब से देखा, जलती धूप, कड़कती ठंड में खेत में काम करते देखा, ख़ुद के पास अच्छे कपड़े न थे पर हमारे लिए उन्हें महंगे कपड़े खरीदते देखा, जब हम चैन की नींद सोते हैं तब उनको रात रात भर पसीना बहाते देखा , हमारी हर ख्वाहिश को पूरा करने के लिए उन्हें कठिन परिश्रम करते देखा, अब जब बारी थी उनकी आराम से जीवन बिताने की पर अफ़सोस उनकी फ़िक्र को फक्र में न बदल पाए हम फिर भी हमेशा उन्हें हंसते हुए देखा, यही थी कहानी मेरी जुबानी संघर्ष पिता के।।