Aarti Goswami 18 Jan 2024 कविताएँ अन्य सर्दी पर कविता, सर्दी के रंग कविता 4871 1 5 Hindi :: हिंदी
"सर्दी के रंग" जैसे जैसे पारा नीचे गिरता हैं मौसम रंग बदलने लगता हैं क्या करे ये सर्दी जब आती सबको बड़ा सताती गलियों में हैं धुंध का कहर चलने लगी अब शीत लहर हर दिशा में छाया कोहरा धूप को खोजे हर एक चेहरा लेकिन सूरज पे लगा बादलों का पहरा ठंड से कांपे देह बेचारी टोपे, मोजे की कर ली तैयारी ठंडी से खुद को बचाने बैठे सब आग जलाने सांसे लगी अब धुआ उड़ाने चाय लगी हैं सबको भाने गरम पकवान सब खाए पानी के पास कोई ना जाए काम से सब जी चुराए सर्दी कुछ ऐसे सताए ~'आरती गोस्वामी'✍️
3 months ago