Shivam 06 Jun 2023 कविताएँ धार्मिक महाकाल 6851 0 Hindi :: हिंदी
चन्द्रमा सीश पर विराजे, हाथो में त्रिशूल साजे। मगन रहे तो डमरू बजाएं, वो मेरा बोला बंधारी कहलाएं। जिसने बनाया काल को, भूत,प्रेत और देवता पूजते महाकाल को। सृष्टि के कल्याण हेतु विष पिया और विष को कंठ तक था रोक लिया, विष के कारण कंठ का रंग हुआ मिला तब नीलकंठ था ना मिला।जिनके जटा में गंगा मां समाई हैं, जब खुले आती से मची हर जगह तबाही है, जिन्होंने अपनी जटा से काल भैरव बनाया था, काल भैरव के रौद्र रूप से दक्ष प्रजापति बचना पाया था। हनुमान के गुरु बने शिक्षा और मर्यादा सिखलाई थी , परशुराम ने भी शिक्षा शिव शंकर से पाई थी। शिव है भोले भंडारी जल्दी अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं, और आकर मनवांछित फल दे जाते हैं। जब भी इन्हें किसी पर क्रोध आ जाता है, इनके क्रोध से उसे बचा नहीं कोई पाता है।