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स्वतंत्रता के अमृत काल पर-अर्पित ये अनमोल रतन

Jitendra Sharma 13 Aug 2023 कविताएँ देश-प्रेम मेरे देश की माटी, न्योछावर है मेरा जीवन, मेरा देश। 6281 0 Hindi :: हिंदी

स्वतंत्रता के अमृत काल पर, 
अर्पित ये अनमोल रतन।
इस मिट्टी पर न्योछावर है, 
मेरा तन,मन, मेरा जीवन।


हे राष्ट्र पर बलिदान वीरों, 
मैं इस मिट्टी को क्या उपहार दूं, 
तन, मन, धन तो सब अर्पित है,
ये मांगे तो प्राण भी इस वार दूं।

तुमने प्राण दे कर दी आजादी, 
यह उपकार है हम पर, 
अब हमारी बारी आई है, 
अपना कर्तव्य निभाएंगे।
चंदन सी माटी हमको सोंपी है, 
इसको संवारेंगे सजायेंगे, 
विकसित भारत बनाएंगे।

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