कविता केशव 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक नारी की शक्ति का विवरण 72899 0 Hindi :: हिंदी
ऐ नारी! तू अबला नहीं! तू कमजोर नहीं! जो टूट जाए खींचतानी से, ऐसी नाज़ुक डोर नहीं! बेबसी, लाचारी, शर्म, हया की, पहनी जो तूने बेड़ियां! इन्हें पिघलाकर शस्त्र बना ले! तोड़ दे बंधन की जोड़ियां। जब-जब तुझ पर उंगली उठी! तब-तब छाती धरती की फटी! चरित्र तेरा पवित्र है तो, रहना अपनी बात पर डटी। नहीं है टुटना, नहीं है झुकना नहीं देनी अग्नि परीक्षा कोई! खुद पर रख विश्वास सदा, दूजा चाहें रखें ना कोई। पुजा की थाली का, तू एक पावन फूल हैं! जो पैरों तले रौंदी जाएं, नहीं कोई ऐसी धूल हैं! हिम्मत के आगे तो, तलवार भी बन जाती शूल हैं। तू डर मत! तू रूक मत! हिंसा के आगे.......... कभी भी झुक मत! जब-जब आंचल तेरा लहराएगा, पापीयों का सीना धड़काएगा! तेरे गर्जन क्रोध के आगे! अत्याचारी टिक ना पाएगा।। ऐ नारी! तू अबला नहीं, कमजोर नहीं! जो टूट जाए खींचतानी से, ऐसी नाज़ुक डोर नहीं। कविता केशव…......