Jitendra Sharma 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक वह मां थी! ,Jitendra Sharma, Vandana inter College Naragnpur Meerut, 84905 0 Hindi :: हिंदी
कविता- वह मां थी! रचना- जितेन्द्र शर्मा तिथी- 01/01/2023 संदर्भ-प्रस्तुत पंक्तियां भारत संघ के कर्तव्य परायण और ऊर्जावान प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी की दिवंगत पूजनीय माताजी श्रीमति हीरा बा के श्रीचरणों में श्रद्धांजलि हेतु छन्द रूपी श्रद्धा सुमन अर्पित हैं। कविता- सत्य साधना में रत! पाप पुण्य दोनों से निवृत। कर्मवीर मानव की 'बा' थी, वह मां थी! बस मां ही थी।। पतित पावन जनक सुता सी! विचलित ना कर पाए व्यथा भी। ममता का निर्मल प्रवाह थी। कर्मवीर मानव की 'बा' थी! वह मां थी! बस मा ही थी।। वह हीरा थी देदीप्यमान थी! दम्भ नहीं पर कांतिवान थी। धरा पर अलोकिक प्रभा थी, कर्मवीर मानव की 'बा' थी! वह मां थी! बस मां ही थी।। आपके कृतित्व का वन्दन हो, प्रभु चरणों में अभिनन्दन हो। आप धरा पर विमल विभा थी। कर्मवीर मानव की 'बा' थी, वह मा थी! बस मां ही थी।