Preeti singh 04 May 2023 कविताएँ अन्य ये जिंदगी की नाव बही जा रही हैं 6568 0 Hindi :: हिंदी
ये जिंदगी के नाव बही जा रही हैं नहीं है कोई किनारा पर बही जा रही है दूर है कोई लकीर शायद मगर हो कोई किनारा शायद उसी के सहारे जिंदगी कटी जा रही है।
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