Ashok Kumar Yadav 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 68002 0 Hindi :: हिंदी
कविता- युगारब्ध बीत गया आने वाला साल, नव युगादि का हो रहा उदय। शीतल होंगे शशि की किरणें, भू पर होगा सुकुमार सूर्योदय।। नाच उठेगी शकुन्त डालियों में, चारों ओर दिखेगा बसंत बहार। स्वर्ग सा प्रतीत होगी वसुंधरा, प्रकृति का है अनुपम उपहार।। कर्म पंथ में आगे बढ़ेंगे मानव, देश-विदेश में करेंगे व्यापार। लेखा-जोखा का हिसाब करेंगे, उन्नति के राहों में बढ़ेगा संसार।। क्या खोया क्या पाया जीवन में, लाभ,हानि,पाप और पुण्य यश। देख रहा है ऊपर वाला मुरलीधर, मरणोपरांत हिसाब लेगा अपयश।। युगानुयुग में हो चहूंओर सुकून, रामराज्य समस्त देश बन जाए। गांधी अहिंसा की नीति रीति हो, विश्व सोने की चिड़िया कहलाए।। कवि- अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़ (भारत)।