Mikky श्रीवास्तव 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक सफ़र रफ्ता रफ्ता 96305 0 Hindi :: हिंदी
ज़िन्दगी जो कि शुरुआत मैंने ख्वाबों का बना घरौंदा, किया उसमे निवास मैने। कामयाबी का चूना रास्ता आसान मैने पढ़ने के सिवा किया नही कोई काम मैने। लगती थी जो हसीन पढ़ कर ही पता चला है बड़ा कठिन किताबों से की यारी, क्योंकि पढ़ने की शैकीन मैं ब ए किया एम ए किया, और जाने कितने ही तजुर्बों को जिया रही पर घर वालो के ही अधीन मैं। आई नही काम मेरे कही ये पढ़ाई मेरे, डिग्रियां दीवारों पर, लिफाफों में खा रही कही धूल पड़े । भविष्य की चिंता रही अब सता मूझे आगे क्या करूं, ज़िन्दगी तुही अब बता मुझे निराशा जो लगी हाथ लगा जैसे हो रही मैं बर्बाद जीने की अब चाह नही आगे कोई राह नही, कर दु मैं ज़िन्दगी को खुद ही आज़ाद। भीड़ ले कर चली थी मैं यारो का था साथ, मेरे चलते सफर में हुई कंगाल मैं गुजारा हुआ मुश्किल मुड़ी जब पीछे मैं कोई नही पास मेरे। दिखाए जो अब कोई राह मुझे, चाहूँ जैसे कोई थामे बाँह मेरे की देवी भक्ति पर न माने मन्नते, बस यही दुआ है मिट जाए सारे भाव मेरे चिंता की कोई बात नही, जीने की है आस बढ़ी जिना अब सीखा है, नही रुकेंगे अब देखो यह पांव मेरे वापिस किया यह सफर शुरू , दिखा ज़िन्दगी अब दाव तेरे। Mikky श्रीवास्तव