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मै एक लड़की हू

Amrita shrivastav 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य एक लड़की का संघर्ष 13683 0 Hindi :: हिंदी

मै एक लड़की हू, मेरी अपनी कोई ख्वाहिशे नही है? 
अपना कोई वजूद नही है? 
मै एक लड़की हू
जन्म लिया तो पिता जी के काँधे पे बैठी
बड़ी हुई तो भाई ने हाथ थाम लिया
युवा होते होते किसी अजनबी के हाथ सौपने की बात चली! 
खुद कभी अकेले न चली
पग्दांडियो को कभी महसुुस नही किया, 
मै एक लड़की हू! 
मै कभी घर की खुशी हुआ करती थी
आज अचानक से गम का कारन बन गई
मुझे अपने घर भेजने की जादोजहद लगी हुई है
मेरा कोई अपना घर है भी ये सवाल मै खुद से ही करने लगी हू;
मै एक लड़की हू! 
आसमा के रंग देखना चाहती हू
खोल अपने पंखो को उड़ना चाहती हू
खुद सब महसुस करना चाहती हू! 
कंधे का बोझ नहीं, सिर का ताज बनना चाहती हू! 
मै एक लड़की हू
सपनो को जिना चाहती हू
अपने किताबो के पन्नो मे रंग भरना चाहती हूँ! 
खुद से उठ कर मै चलना चाहती हू! 
तारो के जैसे चमकना चाहती हूँ! 
सब की खुशी का कारण बनना चाहती हूँ! 
मै एक लड़की हू! 

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