Samar Singh 27 May 2023 कविताएँ समाजिक स्कूल कालेज के दिन भी क्या दिन होते है। 7181 0 Hindi :: हिंदी
हवाएं चली सरसराहट हुई, मन के कोने में आहट हुई। एक याद लेके आई थी पवन, गुम हो गया पगला मन। वहीं गुजरे जमाने की तस्वीर दिखने लगी, संग- साथियों के तराने गूंजने लगी। वो नोंक- झोंक की बात, एक दूसरे की मुलाकात, वो रिमझिम बरसात, एक दूसरे का साथ, गजब के थे हालात, गायब है वो रात, वो हाथों में हाथ, पल- पल में दिखाना जज्बात, चाय की चुस्कियाँ पीना बलात्, साथ था सबका जैसे बारात, चूर हो गए सपने, छूट गए अपने, हवाएं चली सरसराहट हुई, मन के कोने में आहट हुई। वो बहाना पीने का पानी, एक दूसरे से करना शैतानी, बच्चों के जैसी थी नादानी, खुश थी अपने साथ की कहानी, सबकी सूरत लगती जानी पहचानी, सबको चिढ़काना कहके दीवाना- दीवानी। आज राह भी हो गई अनजानी, वो लगते थे कितने अपने, अब तो हो गए वो सपने, हवाएं चली सरसराहट हुई,। मन के कोने में आहट हुई।। क्लास में बैठकर गाली देना, जान बूझकर आफत मोल लेना, रेसस में टिफिन का दौर, एक निश्चित था ठौर, जम के टेबल बजाना, बिना सुर के गाना गाना, सोच के आँखों में आ जाता है पानी, कहाँ गयी मेरी वो कहानी, हवाएं चली सरसराहट हुई, मन के कोने में आहट हुई।। रचनाकार - समर सिंह " समीर G "