Kirti singh 12 May 2023 कविताएँ समाजिक सुबह से रात तक बनारस। 7994 0 Hindi :: हिंदी
बनारसी साड़ी से लिपटा और सूरज की लालिमा के समान पान की लाली से सुशोभित बनारस । भोर में मंदिरों के घंटियों के टंकार से अलार्म सा बजता बनारस सबको नींद की भवर से जगाता बनारस ।भोले बाबा के आशीर्वाद से यूं चलता बनारस दशासमेघ घाट पर गंगा जल से स्नान कर बाबा विश्वनाथ मंदिर तक चलता बनारस ।सूरज की किरणों सा प्रकाशित हो विद्यालय को जाते विद्यार्थी बीएचयू के शिक्षण संस्थान में ज्ञान की ज्योति जलाता बनारस शहर के लाखों अनजान चेहरों में अपनापन का एहसास दिलाता बनारस। गोदौलिया की सड़कों से वस्तुओं पर रंग बीखेरता चलता बनारस ।रेडियो मिर्ची मंत्रा रेड बिग एफएम की चटपटी गपशप और संगीत के शुरो में झूमता बनारस ,जीवन ज्योति लिए घर से बीएचयू अस्पताल तक जाते डॉक्टर कुछ होठों पर मुस्कान लिए अस्पताल से निकलते मरीज कुछ ऐसा ही सफर बीएचयू गेट से करता बनारस ,सूरज के डूबते रोशनी के साथ अस्पताल से रोते हुए चेहरे और मडवाडी में स्त्री के सम्मान को डूबोता हुआ डूबता सूरज लेकिन रात के अंधेरे को चीरता हुआ गंगा आरती से जगमगाता बनारस गंगा के आंचल में लहराते नाव के साथ घर को लौटता बनारस भोजपुरी बोली के साथ प्रेम देते हुए पलकों पर नींद ले आता बनारस। Kirti singh