संदीप कुमार सिंह 04 Sep 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5743 0 Hindi :: हिंदी
दिल की आवाज़ तो यूं सबके पास होते हैं परन्तु गौर कोई _कोई ही कर पाते हैं। दिल जो तर्क की क्षेत्र से काफी दूर है सरल और बेबाक आवाज़ देती है। दिल से ही प्राण का अस्तित्व है दिल नाज़ुक परिवेश की होती है। दिल की आवाज़ पर विरले कुछ करते हैं तब चमकते हैं। दिल को सम्हालना बहुत आवश्यक है, क्योंकि दिल कभी_कभी बेकाबू भी हो जाता है। दिल से दिल लगाए रखिए मुस्कुराहट को सदा बनाए रखिए। दिल में प्रेम की दीपक जलाए रखिए, जीवन में चांदनी फैलाए रखिए। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह ✍🏼 जिला:_सस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....