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उसके रुकसत होने से मेरा अरमान ही जल गया

संदीप कुमार सिंह 15 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6114 0 Hindi :: हिंदी

(मुक्तक छंद)
उसके रुकसत होने से मेरा अरमान ही जल गया।
उसकी यादों में  मेरा अनमोल समय ही निकल गया।
आज मैं गया था उसकी कब्रगाह पर उस से जब मिला_
उसकी मोहब्बत में फिर से मैं खुशियों में बदल गया।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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