Samar Singh 22 Apr 2023 कविताएँ दुःखद सारे पौधों के पत्ते गिर गए है, क्योंकि पतझड़ आ गया है। पतझड़ को बसंत के आने की उम्मीद है, बसंत भी अपनी अदा दिखा रहा है। 6902 0 Hindi :: हिंदी
किसी के आने की उम्मीद है, एक नशे की नींद है। नई कोंपले तराशे है, पतझड़ प्यासे हैं। मदमस्त हवा कहती है, पत्ते गिरते है, सरगम बजती है। ठहरी हर साँसे हैं, पतझड़ प्यासे हैं।। पत्ते हैं या नये परिधान, आने वाला है कौन मेहमान। सज रही है ये धरती, , हँस- हँस के ये हवा है बहती, । भँवरों का गुंजार हुआ है, दिल में मीठा सा संचार हुआ है, पत्ते टूट रहे हैं, कि सपने छूट रहे हैं। अब तो बंधती उम्मीद बड़े खासे हैं, पतझड़ प्यासे हैं। रचनाकार- समर सिंह "समीर G"