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पैडमैन-बुखार कमरदर्द सिरदर्द मोटापा या दुबलापन खून की कमी और सुस्ती से परेशान

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 आलेख समाजिक padman 83947 0 Hindi :: हिंदी

अक्षय कुमार अभिनीत माहवारी पर आधारित फिल्म पैडमैन के रिलीज होने के बाद मुल्क में ये चर्चा-ए-आम हो गया था कि मासिकचक्र के दरमियान और पश्चात महिलाओं को किन-किन परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है। जबकि इसके पहले इस विषय पर चर्चा पत्नी द्वारा पति से या फिर एक महिला दूसरी महिला से करती थी।
दिल्ली से 2500 किमी दूर तमिलनाडु के कोयंबटूर में रहनेवाले अरूणांचल मुरुगनाथन  असली पैडमैन हैं, जिसके जीवन के संघर्षगाथा का फिल्मांकन सुनहरे पर्दे पर किया गया। यह कालजयी फिल्म उस मुरुगनाथन की जिंदगी से प्रेरित है, जिसको प्रतिष्ठित टाइम्स पत्रिका ने 100 महत्वपूर्ण व्यक्तियों में शुमार किया है और जिसे भारत सरकार ने पद्मश्री से नवाजा है।
	चैंकानेवाला तथ्य यह कि इस दौरान नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएचएफएस) की वर्ष 15-16 की रिपोर्ट आननफानन में जारी की गई, जिसमें मासिकधर्म के दरमियान सैनिटरी नैपकिन्स के उपयोग को लेकर एकाएक आंकड़े सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किए गए।
	इसी रिपोर्ट सें खुलासा हुआ कि पीरीयड्स के वक्त देश में आज भी सिर्फ 38 फीसदी महिलाएं एवं लड़कियां सैनिटरी नैपकिन्स तथा 62 फीसदी लड़कियां एवं महिलाएं कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। वहीं ग्रामीण भारत में केवल 48 फीसद महिलाएं एवं लड़कियां, तो शहरी क्षेत्र में केवल 78 फीसद महिलाएं एवं लड़कियां सैनिटरी नैपकिन का यूज करती हैं। 
	माहवारी के दरमियान वे महिलाएं कपड़े, राख, पुआल व पत्ते का इस्तेमाल करतीं हैं, जो अति गरीबी का जीवन जीती हैं। विडंबना यही कि जिनके घरों में खाने के लाले पड़े हों, चूहे दंड-बैठक पेल रहे हों, उनके घरों की महिलाओं के पास सैनिटरी नैपकिन खरीदने के पैसे कहां से आएंगे। लिहाजा, कपड़े के इस्तेमाल के पीछे सबसे प्रमुख कारण दरिद्रता है। यदि लोगों की माली हालत ठीक हो जाए, तो वे अपने बीवी-बच्चों के लिए महंगे नैपकिन खरीदने में पैसे जरूर खर्च कर सकते हैं। जैसा कि संपन्न परिवार किया करते हैं।
	सेंट्रल हेल्थ मिनिस्ट्री के तहत जारी रिपोर्ट के मुताबिक कपड़े के इस्तेमाल में बिहार 82 प्रतिशत के साथ सबसे आगे हैं। इसके बाद 81 प्रतिशत के साथ यूपी और छत्तीसगढ़ का नंबर आता है। ये वो बीमारू राज्य हैं, जहां मुफलिसी सर्वाधिक है। इसके बाद मध्यप्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक का स्थान है। 
	जबकि मिजोरम, गोवा, तमिलनाडु, केरल और सिक्किम में सैनिटरी नैपकिन के उपयोगकर्ता अधिक हैं, जो संपन्नता और साफ-सफाई को उजागर करता है।
	एक सर्वे के मुताबिक, धर्म के लिहाज से देखें, तो 57.3 प्रतिशत हिंदू महिलाएॅं, 53.9 प्रतिशत मुस्लिम महिलाएं, 74.9 फीसदी ईसाई महिलाएं, 83.7 फीसद सिख महिलाएं, और 88.7 प्रतिशत जैन महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं।
	मासिकचक्र के दरमियान महिलाओं को काफी पीड़ा होती है। इसलिए पहले के जमाने में उनकी कष्ट-कठिनाई को देखकर उन्हें पांच दिन विश्राम दिया जाता था। उन्हें एक अलग कमरा एलाट किया जाता था, जहां वे निवास करती थीं। दूरस्थ गांवों और जंगलों में निवासरत जातियों में आज भी यह परंपरा अपने असली रूप में कायम है।
	इस दौरान उन्हें मंदिर-मस्जिद जाने, रामायण-कुरान पढ़ने, पूजापाठ करने, हवन-कीर्तन करने, खाना बनाने की मनाही होती थी। हालांकि आधुनिक जीवनशैली में जहां पति-पत्नी का ही परिवार रह गया है और दोनों कामकाजी हैं, वहां ये प्रथाएं टूटी हैं और महिलाएं पूजापाठ छोड़कर सभी काम करने लगी हैं।
	गतवर्ष मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में 600 महिलाओं का बच्चादानी इसलिए निकाल दिया गया; क्योंकि इनकी बच्चादानी में इंफैक्शन हो गया था। इसका कारण यही था कि ये महिलाएं गरीब परिवारों से थी और माहवारी के दौरान महंगे सैनिटरी नैपकीन खरीद नहीं सकती थीं। 
लिहाजा वे कपड़े का उपयोग करती थी, जिससे सफेद पानी रिसाव सहित पेडू में असहनीय दर्द होने लगा था। परिणामस्वरूप, उनके बच्चेदानी को आपरेशन करके निकालना पड़ गया था।
	महिलाएं पेटदर्द, अपच, गैस, बदहजमी, बुखार, कमरदर्द, सिरदर्द, मोटापा या दुबलापन, खून की कमी और सुस्ती से परेशान हैं, जो इन्हें जिंदगीभर का सिला गरीबी से मिला है।
	इसी के मद्देनजर माया विश्वकर्मा ने महिलाओं को संगठित की और सस्ते सैनिटरी नैपकीन्स बनाने में कामयाबी हासिल की। इसलिए उसे पैडवुमैन कहा जाता है। यह काम आदिवासी बाहुल्य जिला झाबुआ में भी हो रहा है, जो स्तुत्य और सराहनीय प्रयास है। 
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अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायत’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायत, veerendra kumar dewangan से सर्च कर और पाकेट नावेल के चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर किया जा सकता है। आपके प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी।

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