Samar Singh 13 Apr 2023 कविताएँ देश-प्रेम यह कविता देशभक्ति की भावना से लिखा हूँ, यह मेरे दिल के बहुत करीब है। 15703 0 Hindi :: हिंदी
जान देने को आतुर देखा, है जीवन की जो छोटी रेखा। कोई यूपी से, कोई बिहार से, कोई बंगाल से, कोई बिछड़ता परिवार से। सबसे आगे, शीश कटाने, सीना ताने, आया पंजाब से, हाँ मुझे हो गया है, इश्क इंकलाब से। माथे पर तू भस्म लगा, ना दे तेरा जिस्म दगा, । चल फूँक दे अपनी साँसों को गुलामी की तिलस्म भगा। बलि वेदी पर चढ़ने को, मिलन रूह की रस्म जगा। सोये हुए जज्बातों की खातिर, अपने अंदर भीष्म जगा। आने दो कयामत, क्यो भय हो इस सैलाब से। हाँ, मुझे हो गया है, इश्क इंकलाब से।। रचनाकार- समर सिंह " समीर G "