Arun Kumar 23 Jul 2023 ग़ज़ल दुःखद # ग़ज़ल/#Google/#Yahoo/#Bing 5443 0 Hindi :: हिंदी
बिछाया था मैंने ख्वाब तेरे संग, आँखों में बस गए थे सपने सरे। किया था वादा कभी ना छोड़ूंगा, तेरी यादों के साथ सब कुछ भरे। मोहब्बत की राह में चलते-चलते, हम खो गए थे खुद को बिखरे। तेरी ख़ताएँ दिल को रुलाने लगी, ज़ख्मों में दर्द बढ़ाने लगे वे। दर्द-ए-दिल को छुपाने की ख़ातिर, मुस्कराते हुए हम मुस्काए फिर भी। पलकों से निकली बेबसी की आहें, छिपाते रहे उन्हें अपने आँचल में। अब तू दूर है, फ़ासले इतने बढ़ गए, जैसे कभी न थे तू और हम कभी न मिले। दिल के वीराने में तन्हाई घुस आई, बेवजह हम रोएं, जिंदगी हमें हसाए फिर भी। किस्से अधूरे, वादे अधूरे, सपने अधूरे, अब तक खड़ी है वही दरिया किनारे के पास। धुंधले ख़्वाबों की छाँव में उलझे, हैं यादें तेरी, दिल में ही बसी है वो ज़मीं पर नहीं हैं आसमान में। सिर्फ़ तेरी ख़बरें हैं बदलती मौसमों के साथ, कैसे कह दूं ज़िंदगी की यह चक्रव्यूह से बहार है वो मेरी नज़र में। बिछाया था मैंने ख्वाब तेरे संग, आँखों में बस गए थे सपने सरे।