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सूरज- लाल आग का गोला है

Amresh kumar pathak 23 Jun 2023 कविताएँ बाल-साहित्य 19389 1 5 Hindi :: हिंदी

सूरज दादा सूरज दादा                                         लाल आग का गोला है ।                                  गरमी में तपता है दिनभर                                    शाम ढले सो जाता है ।                                   सर्दी का  मौसम हो या फिर                               हो बरसात सुहाना  ।                                      सूरज का आना जाना                                     होता है खेल पुराना ।                               घने पेङ की छाॅव में                                        बैठे प्राणी जीव तमाम।                                   सुस्ताने को आते एकपल                                     मेहनत कश इन्सान                                  बर्षा की बूंदे झिलमिल कर                               गिरती जब धरती पर ।                                    इन्र्दधनुष बन जाता है  तब                                  सुन्दर और मनोरम  ।                                      शाम सुहाना हो जाता                                      जब तक सूरज में लाली ।                               देख कवि खुश हो जाता है                                धरती की हरियाली   ।

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Amresh kumar pathak
Amresh kumar pathak Kamal ki kavita hai

9 months ago

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