Kirti singh 28 Aug 2023 कविताएँ समाजिक राजतंत्र कहता है जमाने से मैं मैं करता राजा बना और एक दिन जमाने को पैरों तले कुचला 7255 0 Hindi :: हिंदी
मैं मैं करता राजा बना और एक दिन जमाने को पैरों तले कुचला जज्बातों का कोई मोल नहीं रखा धन दौलत शोहरत शक्ति का ही गोल रखा जनता को अपनी मुट्ठी में रखा अत्याचारों का जोर लगाकर ।मैं राजतंत्र हूं राज कर रहा था जूते के नीचे जनता को दबाकर रखा एक दिन ऐसा आया की जनता ने संगठित होकर मेरे जूते पर जोर लगाया और मुझको उखाड़ फेंका एक गहरी खाई में मेरे मुंह से आवाज न निकली हो गया जनतंत्र का बोलबाला मुझे जैसी हस्ती का है यह बुरा हाल तो क्या होगा तुम जैसे सस्ते लोगों का जो चंद दौलत शोहरत पर लोगों पर अत्याचार हो करते और अपने घमंड की सीढ़ी को चढ़ते सुधर जाओ प्यारे वरना मैं मैं करते मैं में ही खत्म हो जाओगे।