DINESH KUMAR KEER 24 May 2023 कविताएँ समाजिक 6749 0 Hindi :: हिंदी
वाणी में मधुरता हिंदी में, संस्कार सभी है हिंदी में... दुश्मन को धूल चटा दे, वह ललकार बसी है हिंदी में... मृत देही में जान फूंक दे, वह उपचार बसा है हिंदी में... जन जन ,जय जय कार गूंजती, वह प्यार बसा है हिंदी में... पुष्पांजलि गंगा अमृत बरसे, वह अवतार बसा है हिंदी में... सूत्रों की धार है हिंदी में, भागवत प्रचार है हिंदी में... निज वाणी से करती अभिभूत में, मेरा अध्याय बसा है हिंदी में...