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भूख की तड़प-सर्वप्रथम तो रोटी ही आवश्यक है

संदीप कुमार सिंह 16 Jun 2023 कविताएँ समाजिक भूख की तड़प, सर्वप्रथम, रोटी, आवश्यक, मकान, कपड़ा, विकास, ऊंची उड़ान, दैनीय, समाज, शिक्षा, अभाव, निंदनीय, साम्राज्य, गरीब, अभिशाप, घातक, सिद्ध, दुनिया, सुरभित, सुगंधित, मानवता 4466 0 Hindi :: हिंदी

सर्वप्रथम तो रोटी ही आवश्यक है,
उसके बाद कपड़ा और मकान।

विकास कि ऊंची उड़ान तो हम भरें हैं,
लेकिन भूख की तड़प अभी भी यहां है।

शिक्षा के अभाव में अभी भी कुछ दयनीय हैं,
जो मानव समाज लिए घोर निन्दनीय हैं।

भूख की तड़प मिटाने के लिए शिक्षा जरुरी है,
बिन शिक्षा ये तड़प बरकरार रह सकता है।

भूख की तड़प अभी भी होना शर्म की बात है,
कहीं तो पर्याप्त मात्रा में अन्न बर्बाद किए जाते हैं।

बहुत ही असमानता का काला साम्राज्य है,
यह गरीबों के लिए बड़ा अभिशाप है।

भूख की तड़प से बच्चे खतरनाक बन सकता है,
समाज के लिए बहुत ही घातक सिद्ध हो सकता है।

इसलिए कहीं भी भूख की तड़प सबके लिए शर्म है,
इसके लिए हम सब को शिक्षा जोत जलाना होगा।

मानवता के फूल को सुगन्धित करना होगा,
दुनिया से भूख की तड़प को मिटाना होगा।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)
बिहार

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