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धोखा-जिंदगी ने इतने धोखे दिए हैं

DINESH KUMAR KEER 24 May 2023 कविताएँ समाजिक 5669 0 Hindi :: हिंदी

धोखा... 

जिंदगी ने इतने धोखे दिए हैं 
की यकीन करने में डर लगता है 
दिल बहुत कमज़ोर है हमारा 
ये कहीं फिर से टूट न जाए 
ये दुनियां अपना बना के दगा देती है
कहीं फिर से भरोसा टूट न जाए 
हमने रस्में उल्फत में सभी से 
वफ़ा की सिला बेवफाई 
कहीं फिर से मेरे नसीब में न आए 
बड़ी मुश्किल से समेटा है 
हमने खुद को कहीं एक बार फिर हम
शीशे की तरह टूट के बिखर न जाए...

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