मोती लाल साहु 30 Mar 2023 आलेख समाजिक ये जीवन की नैया भवसागर में, आती-जाती श्वासों के सहारे चली-चलती-जाती है। 7711 0 Hindi :: हिंदी
ये जीवन की- नैया भवसागर में! चली-चलती-जाती, खेवनहार-ये आती-जाती हर श्वासा, चली-चलती-रहती हंसता रोता- करता अनुभव, ये माटी का पुतला में ये जीवन का चक्र चला-चलता-रहता ये जीवन की- नैया भवसागर में! -मोती