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धन से प्रेम-धन भ्रष्टाचारी निर्दय दुष्ट कातिल मतलबी भी बनता

राकेश 02 Sep 2023 कविताएँ अन्य धन से प्रेम 6748 0 Hindi :: हिंदी

खुशियां साथ लाता, निश्चित मौत को भी दूर भागता, धन की कदर करने वाला जीवन में सुख आनंद पाता, सोने चांदी की थाली में खाता, अपनी तंदुरुस्ती बनता, बलवान भी धनी से घबराता है, जो ईमानदारी से धन कमाता।

किंतु धन भ्रष्टाचारी निर्दय दुष्ट कातिल मतलबी भी बनता, जो धन के लिए बुरे से बुरा काम करने से नहीं घबराता, दूसरे का हक खाता, ऐसा धनी कभी चैन से नहीं सो पाता, जो दूसरे की मदद में अपना धन खर्च करने से घबराता, इसका मतलब उसे धन से प्रेम करना नहीं आता।

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