Trilok Chand Jain 30 Mar 2023 शायरी समाजिक कोरोना काल 15243 0 Hindi :: हिंदी
ना जाने कौन सी हिमाकत की थी वक्त के साथ हमने, जिससे ऐसी नजाकत पेश की वक्त ने। आज वक्त, बेवक्त में ही काल बनकर आ रहा, इस धरा पर काले बादल सा मंडरा रहा।
Working Editor of Swadhyay Shiksha Magazine. Jainism teacher. Running Ph.D in Jain Jeevan Paddhat...