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क्या तू सच मुच् चाँद हैं

Rupesh Singh Lostom 16 Apr 2023 शायरी प्यार-महोब्बत क्या तू सच मुच् चाँद हैं 7422 0 Hindi :: हिंदी

क्या तू सच मुच् चाँद हैं 
या यु ही समझ बैठा हूँ मैं 

अगर दाग़ हैं तो दिखा 
वार्ना जातां हु जाऊ क्या मैं 

तू अब तक कहा थी गुम 
मैं हर रोज़ आता था आश्मान में 
तारों से पूछता कुछ बेचारों से पूछता 
तू कहा थी अपने आशियाने से दूर 

अब बहुत हुआ दूर दूर रहा 
आशुओं को पीना जख्मो को सिलना 
अंधेर  में चलना जुगनुओ से झगड़ना 
चलो चले कही दुशरी दुनिया में 
सुबह होते ही निकल जाएगे 
कही आश्मान में ही घर बनायेगे

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