Rupesh Singh Lostom 14 Jul 2023 शायरी अन्य छलता हैं 5427 0 Hindi :: हिंदी
मैं नाराज हु तेरी बातों से मैं परेशां हु तेरी आदतों से तू समझा कहा हैं मेरी हसरतों को मैं बेचैन हूँ तेरी जीने की उट पटांग वे फ़िक्र अंदाजों से तू मुझे रोज़ छलता हैं पल पल पल ठगता हैं आँखें थक जाती हैं राह तक ते तक ते तू निरदई आता ही नहीं वादा पे वादा कर के