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ज़िंदगी-जब कभी जिंदगी से हारने लगता हूँ

Mukesh Namdev 17 Dec 2023 शायरी प्यार-महोब्बत जिंदगी,ओठों के ताज,सुलगा,लंबा कश 3430 0 Hindi :: हिंदी

"जिंदगी"
"जब कभी जिंदगी से हारने लगता हूँ,और खुद को अकेला पाता हूँ,तो कहीं रुक कर ओठों के ताज को सुलगा लेता हूँ,एक लंबा कश लेकर धुऐं के साथ सारी उलझनों को हवा में उड़ा देता हूँ,और एक मध्म-सी मुस्कान लेकर फिर जिंदगी की तरफ बढ़ने लगता हूँ"
                    #Mukesh Namdev

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