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हे तुझसे कितना प्यार मुझे हो वे क्यों ना यकीन तुझे मैं ना हनुमान कोई जो दिखाऊं सीना चीर तुझे हे तुझसे कितना प्यार मुझे हो वे क्यों न read more >>
हाथों में तुम्हारा हाथ रहे चाहे सुख हो चाहे दुःख हो साथी तुम्हारा ही साथ रहे read more >>
तूँ हुस्न के रंगों से लिखी हुई ग़ज़ल है, प्यार के दरिया में खिलता हुआ कमल है। read more >>
प्यार की तुम जीती - जागती देवी हो हृदय की तुम जैसे सूरज की किरण हो । (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहा read more >>
कयामत की तुम बेमिसाल सूरत हो, आब की तुम अद्वितीय मूरत हो। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:- समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार read more >>
कास कोई मेरे सपनों में भी आती और अपने रूप यौवन से तरसाती। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार read more >>
एक दिन जब तू लौट आयेगी और मेरा जर्रा जर्रा बिखरा पाएगी, क्या टूटेगी तू भी मुझे देख कर या मुझे जोड़ लेगी, फिर लौट जायेगी उसी तरह मुझे छोड read more >>
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