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प्रेम.... अस्थि जलाने के लिए श्मशान है....! तेरी यादों को जला सकूँ ऐसी कोई जगह है क्या.....!! read more >>
प्रेम.... मेरे प्रेम को शब्द ना मिलें....! वरना इजहाऱ तो हम भी कर सकते थे......!! read more >>
बदली झुकी पर्वत पर,भँवरे चमन में डोले। मोसम है मिलन का,बुलबूल फूलों से बोले। ये वक्त नहीं है इन्तजार का, ओ साथी मेरे_ तूँ कमसिन read more >>
आजकल रात भर, नींद आती नहीं। एक पल के लिए, याद जाती नहीं। जीना तेरे बिन, दुश्वार हो गया_ दूजा कोई भी, शक्ल भाती नहीं।। (स्वरचित मौलिक) संद read more >>
बदली झुकी पर्वत पर,भँवरे चमन में डोले। मोसम है मिलन का,बुलबूल फूलों से बोले। ये वक्त नहीं है इन्तजार का, ओ साथी मेरे_ तूँ कमसिन read more >>
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