Divya Kumari 19 Mar 2024 कविताएँ अन्य 2480 0 Hindi :: हिंदी
वक्त की इस डोर पे कुछ सपनो को छोड़ दे माना तु आज खुद से हारी हैं पर आज भी दुर्गा सी नारी है मत हार मान तु इन मुश्किलों से रख भरोसा तु थोरा अपनों पे एक दिन तुम इन मुश्किलों से भी पार पायेगी वह दिन भी आयेगा जब तु फिर से खरी हो जायेगी हर सफलता आसान सी नहीं होगी क्या सबकी कहानी एक जैसी होगी मेहनत का हाथ अब तु थाम ले वक्त आ गया उड़ान की अपनी कुर्सी की पेटी बांध ले पक्षी सी पर नहीं पर हौसला हैं मुश्किल की इन घड़ी मे सपनो से खुन खौला हैं याद कर उन सपने को ये अपना हैं उस अपने का मन समय की उल्टी घड़ी हैं. पर आज तु उनके आशीर्वाद से खड़ी हैं मत सोच कल क्या होगा अपनी मेहनत करती रह यह मुश्किल भी टलेगी जब तु खुद काँटों पर चलेगी काँटे भी फूल बन जायेगी शायद तुम्हे सफलता मिल जायेगी शायद तुम्हे सफलता मिल जायेगी शायद तुम्हे सफलता मिल जायेगी