Suraj pandit 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य Kiran 15060 0 Hindi :: हिंदी
एक अन्ह सोचा रहा, बैठ अंधेर कमरे में। सूर्य की किरणों से तेज चमक रहा एक प्रभा जिसकी न थी कोई कल्पना न थी जिसकी कोई रचना बस माँ की कहानियों में छुपी सुनेहरी किरणों की राज जिसमें थी जीवन की नई उद्देश्यों की बात सारा दिन बीत गई उस प्रभा की खोज में भटकता रहा जीवन की उस नई राह की तलाश में मिलता गया घाटी-पर्वत मिलती गई नदियाँ छूटता गया, साथ दोस्तों का छूटता गया, के साथ गुजारी लम्हा। जीवन की हर एक मुश्किले को पार कर आगे बढते गए। दूनिया कि इंसानियत को हम देखते चले गए। आज भी मन में आ रहा एक सवाल क्या थी माँ की कहानी में छुपी सुनहरी किरणों की राज।