संदीप कुमार सिंह 02 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6290 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) जिसमें अच्छे भी फंसे, और सहेंगे कष्ट। कौतूहल सी जिंदगी,और अधिक हैं भ्रष्ट।। कौतूहल सी जिंदगी,भीड़ भरा संसार। सबको भागम भाग है,करते हैं अतिचार।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....