संदीप कुमार सिंह 03 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 7467 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) जला दिया अरमान को,भूल गई अनुराग। झुलस रहा है आदमी,महँगाई की आग।। जला झुलस रहा है आदमी,मिले न अब विश्वास। मिले फरेबी जन यहां,कुचले सबकी आस।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....