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वन की रक्षा कीजिए-जीवन हो गुलजार

संदीप कुमार सिंह 03 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5577 0 Hindi :: हिंदी

(दोहा छंद)
वन की रक्षा कीजिए,होगा अति उपकार।
खुशियाँ हो संसार में,जीवन हो गुलजार।।

वन की रक्षा कीजिए,मिलकर हमसब यार।
मौसम तब अनुकूल हो,रहती सदा बहार।।

वन की रक्षा कीजिए,समझें नव अभियान।
लोगों को भी यह कहें,भरा रहे खलिहान।।

वन की रक्षा कीजिए,वन से ही है ख्वाब।
सभी लगाएं पेड़ को,कायम रहे रुआब।।

वन की रक्षा कीजिए,बरकरार तब आब।
रहे धरा आनंद में,करिए नित आदाब।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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