Rameez Raja 13 Feb 2024 कविताएँ समाजिक चलना है अकेला ! 4424 0 Hindi :: हिंदी
नहीं चाहते थे हम अब एक पल भी दूर हो, जो नहीं चाहा वही हो गया है अब क्या कहूं जैसा होना है वैसा तो होगा ही सदा, मनुज के हाथों में है क्या बदा, जैसी किस्मत नचाएगी, नाचना होगा प्यारे तुझको, नहीं है कोई दूसरा चारा यारा, दृढ़ संकल्प लो और बनो आत्मविश्वासी, न डरो क्या होगा कल की सोच में , न घबराओ ओ! प्यारे मीत। कर चट्टानों से संघर्ष , तू बढ़ता आगे चल, होगा तुझे पता कि सफ़लता है इसके पीछे, न रुको कभी, न थमों कभी इस मार्ग में तुम्हें चलना है अकेला, बस चलना है अकेला, पालो सच्चाई को पलभर में तुम, यों ही बस चलना है अकेला ।