Sudha Chaudhary 09 Jun 2023 कविताएँ दुःखद 7354 0 Hindi :: हिंदी
जगमगाती रोशनी थी पुरानी बातों की। सतह से उठती थी हंसी, खनखनाती बातों की। गमी ने इस तरह पैर फैलाया ऐसा लगता है बरसों से कोई था ही नहीं। फटे पन्नों की तरह बिखर गये रिश्ते। समेटते क्या? चुभी कीलें इतने। सुधा चौधरी बस्ती