Bholenath sharma 13 May 2024 कविताएँ समाजिक 625 0 Hindi :: हिंदी
रुको रुको तनिक इधर भी देखो सीधे भागे जा रहे हो इधर उधर भी देखो गाँवो में समस्याएं युवाओं की समस्याएं महगाई की चोट से व्याकुल है गरीब डेढ सौ में दाल डेढ सौ में तेल दो तीन चीजो एक दिहाड़ी खर्च क्या बचता होगा कुछ बचत है आने वाली समस्याओ का , बीमारियो के लिए क्या है क्या है उसके पास किसकी रखे आस । जय जय कार से पेट नहीं भरता पेट के लिए रोटी चाहिए रोटी के लिए काम चाहिए कमा कर खाने के लिए स्वाभिमान से जीने के लिए ।