Rupesh Singh Lostom 09 May 2023 शायरी प्यार-महोब्बत बहकाया 16652 2 5 Hindi :: हिंदी
क्या ऐ जुल्म हैं की मैंने तुझे चाहा या फिर कसूर तेरा हैं जो तूने मुझे बहकाया ! तेरी चाहत में मैं मसगुल हूँ तेरे इश्क़ में ग़ुम हूँ पर क्या ऐ नहीं मैं तेरा आशिक़ पूर जोर हूँ ! मैंने माना हैं मनत उस रव से तू खुश रहे सदा मुस्कुराती रहे सर्वदा ख़ुशी में चूर रहे गमो से दूर दूर रहे मगर तू मेरी ही महबूब रहे ! तू जानती हैं की मैं तेरा ही बन बैठा हूँ फिर भी तू मुझ से सदा दूर दूर रहे !
11 months ago